भारत को क्रिकेट को सिर्फ एक खेल ही नहीं बल्कि एक धर्म की तरह पूजा जाता है. यदि आप भारत में किसी भारतीय क्रिकेट प्रेमी के सामने भारतीय टीम की बुराई करेंगे तो मामला उसी तरह से बिगड़ सकता है जैसे किसी धर्म की बुराई करने पर बिगड़ता है.
भारत में पुरुष क्रिकेट टीम के अलावा पुरुषों की ब्लाइंड क्रिकेट टीम भी हैं. दृष्टिहीनों का क्रिकेट देख सकने वाले खिलाडियों से एकदम अलग होता है. ब्लाइंड क्रिकेट खेलने वाले खिलाडियों ने गेंद, बल्ले और विकेट को देख भी नही सकते हैं.
Blind Cricket Ball
(ब्लाइंड क्रिकेट में इस्तेमाल की जाने वाली गेंद)
लेकिन इन नेत्रहीन क्रिकेट खिलाडियों को देखकर कभी ऐसा नहीं लगेगा कि ये देख नहीं सकते. बल्ला पकड़ने का स्टाइल, शॉट्स सिलेक्शन, और रन लेने के लिए विकेटों के बीच दौड़ना बिलकुल ऐसा है जैसे कि कोई आम खिलाड़ी करता है.
क्या ब्लाइंड खिलाड़ी पूरी तरह से ब्लाइंड होते हैं?
नहीं. ब्लाइंड क्रिकेट की टीम में खिलाड़ियों की नेत्रहीनता अलग-अलग स्तर की होती है. इस टीम में 4 पूरी तरह से दृष्टिहीन, 3 आंशिक रूप से दृष्टिहीन और 4 खिलाड़ी वे होते हैं जिन्हें आंशिक रूप से दिखता हो.
ब्लाइंड खिलाड़ी कैसे खेलते हैं?
ब्लाइंड क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली गेंद साधारण गेंद से बड़ी होती है. ये प्लास्टिक की बनी गेंद होती है जिसमें बॉल बेअरिंग डाले जाते हैं जो झुनझने की तरह आवाज़ करते हैं और इनकी आवाज़ से खिलाड़ी गेंद का अंदाज़ा लगाता है. गेंदबाज़ 'प्ले' बोलते हुए "अंडरआर्म" गेंद फेंकता है, जिससे बल्लेबाज और फील्डर खिलाड़ी जान जाते हैं कि बॉल फेकी जा रही है. जब यह बॉल बल्लेबाज तक पहुँचती है तो आवाज करती है जिसे सुनकर बल्लेबाज शॉट खेलता है.
bowling blind cricket
एक बात और जानना जरूरी है कि ब्लाइंड क्रिकेट में तीनो विकेट एक साथ जुड़े होते हैं. स्टील की बनी विकेट एक साथ इसलिए बनायीं जाती है ताकि इनके गिरते ही आवाज़ हो और नेत्रहीन खिलाड़ी समझ जाये की बैट्समैन आउट हुआ है.
blind cricket stump
ज्ञातव्य है कि ब्लाइंड खिलाडियों का बल्ला सामान्य खिलाडियों की तरह का ही होता है.
जैसे हम लोग अपने दोस्तों और परिवार वालों की आवाज सुनकर जान जाते है कि किसकी आवाज है उसी प्रकार फ़ील्ड में खिलाड़ियों की आवाज़ सुनकर ये खिलाड़ी भी जान जाते हैं कि कौन किस जगह पर फील्डिंग कर रहा है और ये आवाज देकर उस खिलाड़ी को बोलते हैं कि बॉल किसकी तरफ आ रही है या किसको बॉल उठानी है.
भारत की ब्लाइंड टीम की उपलब्धियां
ज्ञातव्य है कि पहला ब्लाइंड वर्ल्ड कप भारत में 1998 में खेला गया था और अब तक कुल 5 ब्लाइंड वर्ल्ड कप खेले गए हैं जिनमें भारत की ब्लाइंड टीम ने 50 ओवर के दो वर्ल्ड कप क्रमशः 2014 और 2018 में जीते हैं. इसके अलावा भारतीय नेत्रहीन टीम ने 2012 और 2017 में हुए दोनों 'ब्लाइंड टी-20' वर्ल्ड कप जीते हैं.
BLIND T20 winning team
वर्ल्ड ब्लाइंड क्रिकेट काउंसिल (World Blind Cricket Council- WBCC)
विश्व ब्लाइंड क्रिकेट काउंसिल (डब्लूबीसीसी) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्लाइंड क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया एक संगठन है. डब्लूबीसीसी की स्थापना स्थापना सितंबर 1996 में हुई थी जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में है और जॉर्ज अब्राहम डब्लूबीसीसी के संस्थापक अध्यक्ष हैं.
भारतीय दृष्टिहीन क्रिकेट संघ (Cricket Association for the Blind -CABI)
भारतीय दृष्टिहीन क्रिकेट संघ (CABI) को मान्यता देने की मांग उठाई जा रही है. लेकिन भारतीय दृष्टिहीन क्रिकेट संघ (क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया- CABI) को अभी तक बीसीसीआई से मान्यता नहीं मिली है. "हालांकि ऐसा बाक़ी देशों में नहीं है. इंग्लैंड, दक्षिण अफ़्रीक़ा और पाकिस्तान जैसे देशों का क्रिकेट बोर्ड नेत्रहीन क्रिकेटरों को सपोर्ट करता है.
भारत की ब्लाइंड क्रिकेट टीम की उपलब्धियों को देखते हुए सचिन तेंडुलकर ने भी CoA (प्रशासकों की समिति) को एक पत्र लिखकर बीसीसीआई से मांग की थी कि ब्लाइंड एसोसिएशन को अपने संरक्षण में लेकर इसके खिलाड़ियों को पेंशन स्कीम में लेकर आए ताकि देश में ब्लाइंड क्रिकेट और इसे खेलने वाले खिलाडियों में भविष्य को उज्जवल बनाया जा सके.